Ek Shuruat kr pae | एक शुरुआत कर पाए

ना उन्होंने हमे समझा, ना हम उन्हें समझ पाए 
रीत ऐसी थी, पहली दफा सेज पर मिल पाए 

थोड़े सिहरे से बैठे हम, शायद उनका हाल भी वैसा था 
ना हम उनसे कुछ कह पाए, ना वो हमसे कुछ कह पाए 

थोड़ी बेचैनी थी मेरे दिल में, शायद थोड़ी बेचैनी उधर भी थी 
दोनों कोनों मे जमा थे फूल, इतने की हम दोनों समझ पाए 

थोड़ा मुस्कुराया मैं, शायद घूंघट में मुस्कुराई वो भी थी 
हटाने फूल के बहाने में, एक दूसरे को सलाम के पाए 

थोड़ी आसूदगी इधर आई, थोड़ी आसूदगी उधर दिखी 
तोहफ़े में हार देकर उनसे, मुँह दिखाई की इजाज़त ले पाए 

थोड़ी कोशिश थी मैंने की, थोड़ी कोशिश उन्होंने ने भी की 
इस तरह एक दूसरे को दोनों, जानने की शुरुआत कर पाए

                                    --- आदित्य देव राय
                                    --- Aditya Deb Roy 

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