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Showing posts from June, 2019

Photographer | फोटोग्राफर

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भीड़ में खोए ये चेहरे  कैद कर तू लाता है  बीते हुए हैं ये मंज़र   जो हमें दिखलाता है,  look through photographers eyes https://www.facebook.com/thejunglephotographer/photos/a.221961597973410/331362817033287/?type=3&theater चार कोनों के ही अंदर  छुपे जो जज़्बात हैं, देखते ही दिल कहे  वाह क्या बात है,   वाह क्या बात है|    --- Aditya Deb Roy --- आदित्य देव राय  Photography an art form of the modern era, looking through a photographer's eyes is a little bit different but what a photographer presents everyone is commendable. Four corners which always captures the moment, the emotions in the right amount of light is an art which you need time to master and Once you are able to master those different elements then the innovative you start to take over and you can create fireworks with your camera. (Above uploaded click is by my friend Raunit Ranjan )                                                       

Sapne Me Milti Hai | सपनें में मिलती है

रोज़ कुछ ना कुछ रह जाता है कहने को तुम से  माँ से कहा है मैंने, थोड़ी देर से जगाया करे मुझे --- आदित्य देव राय  --- Aditya Deb Roy  We chat for so long every night, but every night I forget to tell her the untold. I told my mother to wake me up a little later so that I can talk to her those unspoken words of my heart.

Mobile Aur Maa Baap | मोबाइल और माँ-बाप

 मोबाइल चलाते रहते हो दिन भर, देश-दुनिया की पल पल की बात जानते हो  दोस्त, पड़ोसी को जानना तो ठीक है, क्या अपने माँ-बाप के हालात जानते हो --- Aditya Deb Roy ---आदित्य देव राय 

Bhagwan aur Bhukh | भगवान और भूख

" "हर दिन गिरवी रख रखा है इंसानों ने कहीं ना कहीं, फिर भी भूखे सो जाते हैं लोग सीढ़ियों पर अक्सर " --- Aditya Deb Roy --- आदित्य देव राय  

Hai Aasan Nhi | है आसान नही

अपने लफ़्ज़ों से हक़ीक़त को दिखाना है आसान नही आईना समझ नदी किनारे खड़े हो जाना है आसान नही ना साफ़-साफ़ लफ़्ज़ों ने ना साफ़-साफ़ दरिया ने दिखाया है  धुंदला पढ़कर भी छुपी हक़ीक़त समझ जाना है आसान नहीं उकेरते तो लाखों हैं  आजकल दिल के टूट जाने पर  बिलखती औरतों का दर्द लिख जाना है आसान नही मीरा, जॉन, शिव, मजाज़ तो सब बनना चाहते हैं आजकल  पर ज़माने की सुनकर सूध खोकर लिखना है आसान नही अपनी तक़दीर का रुख़ बदलने को कलम सबने पकड़ रखा है  पर "आदित्य " कातिब-ए-तक़दीर का मन बदलना है आसान नही                                                      --- आदित्य देव राय                                                      --- Aditya Deb Roy  कातिब-ए-तक़दीर - भाग्य लेखक (Writer of destiny)

Ijazt | इजाज़त

कैफ़ियत-ए-हयात ज़ौक़-ए-लुत्फ़ की इजाज़त कहाँ देती है  जब देती है पल भर की इजाज़त, फिर बिछड़ने की सजा देती है  --- आदित्य देव राय  --- Aditya Deb Roy                           कैफ़ियत-ए-हयात - Condition Of life                          ज़ौक़-ए-लुत्फ़  - Taste of Pleasure

Homicidal Violence | घरेलू हिंसा

"खटखटाना ज़रूरी है, दरवाज़े उन घरों के   जहाँ औरतें बिलखती हैं अक्सर मुँह दबाकर "                                                  --- आदित्य देव राय                                                  --- Aditya Deb Roy                                        

Apnaoge Mujhe Tum | अपनाओगे मुझे तुम

थक कर काम से जब लौटोगे घर तुम  अपने हाथों से खाना खिलाओगे मुझे तुम  छोटी बातों पर भी, गर नाराज़गी हो मेरी  छोटे बच्चों की तरह मनाओगे मुझे तुम  मैं रूठूँ तुम मनाना, मैं रोऊँ तुम हँसाना  बाग के माली की तरह संभालोगे मुझे तुम  निभाऊंगी साथ मैं भी, लुटाउंगी मुहब्बत  पर दिल की बात हर रात कहोगे मुझे तुम  मेरे भूरे बदन के हर उन अनछुए सफों पे  कुछ लिखने से पहले, हरबार पूछोगे मुझे तुम जानती हूँ सात फेरों में कुछ वादे मेरे भी होंगे  पर अपना बनाने से पहले अपनाओगे मुझे तुम                                --- आदित्य देव राय                               --- Aditya Deb roy

Sahar Ne Ek Shayar Sanwara Tha | शहर ने एक शायर संवारा था

आज फिर उस शहर आ गया हूँ  जिस शहर ने एक शायर संवारा था  गुस्ताख़ी हुई थी जहाँ इस दिल से  पहले दीदार में जो बना बे-सहारा था  मुहब्बत हुई भी तो उन नज़रों से  जिनके लिए मेरा चेहरा नागवारा था  लुटे भी हम उस आवाज़ के पीछे  जिन्होंने हमे सुनते नकारा था  दीवानगी हुई भी उस चेहरे से जिनके पीछे मैं बना आवारा था  पीटना ही रह गया था बाकि  वक़्त रहते कलम बन चूका सहारा था  आज फिर उस शहर आ गया हूँ  जिस शहर ने एक शायर संवारा था                      --- आदित्य देव राय                     --- Aditya Deb Roy

Nadaan Dil | नादान दिल

ऐ दिल तू कितना नादान है  ज़माने की चोट से क्यूँ बन रहा अनजान है  ऐ दिल तू कितना नादान है मुहब्बत की तलाश में निकल तो जाता है  पर आँख खोल क्र देख तो ले  की इसकी मार से कितने परेशान है  ऐ दिल तू कितना नादान है  ज़माने की चोट से क्यों बन रहा अनजान है  थोड़ी सी बात क्या हुई पिघल जाता है  पर एक बार उस से पूछ तो ले  की उसका दिल क्या चाहता है  ऐ दिल तू कितना नादान है  ज़माने की चोट से क्यों बन रहा अनजान है                                   --- आदित्य देव राय                                  --- Aditya Deb Roy

Ek Shuruat kr pae | एक शुरुआत कर पाए

ना उन्होंने हमे समझा, ना हम उन्हें समझ पाए  रीत ऐसी थी, पहली दफा सेज पर मिल पाए  थोड़े सिहरे से बैठे हम, शायद उनका हाल भी वैसा था  ना हम उनसे कुछ कह पाए, ना वो हमसे कुछ कह पाए  थोड़ी बेचैनी थी मेरे दिल में, शायद थोड़ी बेचैनी उधर भी थी  दोनों कोनों मे जमा थे फूल, इतने की हम दोनों समझ पाए  थोड़ा मुस्कुराया मैं, शायद घूंघट में मुस्कुराई वो भी थी  हटाने फूल के बहाने में, एक दूसरे को सलाम के पाए  थोड़ी आसूदगी इधर आई, थोड़ी आसूदगी उधर दिखी  तोहफ़े में हार देकर उनसे, मुँह दिखाई की इजाज़त ले पाए  थोड़ी कोशिश थी मैंने की, थोड़ी कोशिश उन्होंने ने भी की  इस तरह एक दूसरे को दोनों, जानने की शुरुआत कर पाए                                     --- आदित्य देव राय                                     --- Aditya Deb Roy 

Awstha | अवस्था

जो हाथ कभी माँगते नहीं थकते थे आज वही माँगने से कतराते हैं खुली आँखों से सपने देखने वाले आज आँख बंद करने से डरते हैं सपने तो हज़ार बुने थे बचपन में वक़्त के साथ काँच की तरह टूटे हैं बे-फ़िक्र हो कर खुले आसमान में उड़ने वाले आज बेड़ियों में बंधे बैठे हैं किसी और की ज़िम्मेदारी आज किसी और की ज़िम्मेदारी लिए बैठे हैं                                   --- आदित्य देव राय                               --- Aditya Deb Roy

Zehni Tasawwart | ज़ेहनी तसव्वर्त

मैं वो कुतुब ख़ाना* हूँ                      * कुतुबखाना - Library  जहाँ कई अफ़साने* होते हैं                 * अफ़साने -    Story  कई मुसाफ़िर आते हैं  कुछ हस्ते हैं कुछ रोते हैं वहीं तख़्तों के एक कोने में  कुछ ख़ाली पैमाने भी रक्खें हैं  कुछ अफ़साना भर जाते हैं  कुछ पैमाना भरने आते हैं  पर अफ़साना निगार* इस क़ुतुबखाने का      * अफ़साना निगार - Storyteller कुछ खोया-खोया रहता है उस एक शख़्स के इंतज़ार में  टक-टकी लगाए बैठा है    हर मुसाफ़िर को अफ़साना  बस इसी उम्मीद से कहता है  की कोई मुसाफिर तो समझे  इस अफ़साना निगार की बातों को  सबके जाने के बाद कहे  क्यों रोता है तू रातों को  क्यों दर्द दबाए बैठा है  भीगा दे आज तू मुझको  लिपट जा मेरी बाँहों से  रोकूंगी न मैं तुझको  आज मुहब्बत बहने दे  जिसे सिमटे बैठा पलकों पर  आज मुझे तू कहने दे  तुझे चाहूँगी खुद से बढ़कर                 --- आदित्य देव राय                 --- Aditya Deb Roy 

Metro Mohobbat | मेट्रो मुहब्बत

उसका चेहरा पन्नों में छुपा था  दूर बैठा कोई उसे देख रहा था  साथ का सफ़र तो रोज़ का था  पर उसके हाथ में आज कुछ नया था  पन्नों को पलटने के बहाने हर रोज़ की तरह उसने मुस्कुरा दिया  उसे भी पसंद है किताबें आँखों आँखों में मुझे बता दिया  किताब को सीट पर रख कर अपने स्टेशन पर उतर गयी  इशारों-इशारों में ये मेरे लिए है कह गयी  Read me के tag के निचे Hi और अपना नाम छोड़ गयी  Books on the Delhi Metro  की वो बुक दो इंट्रोवर्ट की पहली चैट विंडो बन गयी  इंस्टाग्राम  पे ड्रॉप्ड अ बुक  का पोस्ट आया  रिप्लाई में मैंने बस Gotcha ❤️ बनाया                               --- आदित्य देव राय                              --- Aditya Deb Roy

Koshish | कोशिश

चल उठ और बढ़ आगे बढ़ने को अब खुद से तू लड़ तेरे हालत अपने आप नहीं बदलेंगे जो नहीं देखते हैं सपने वो तेरे जस्बात क्या समझेंगे और ज्यादा देर न कर आगे बढ़ने को अब खुद से तू लड़ बस एक कदम की दुरी पे खड़ा है तू एक हाथ तो बढ़ा किस सोच में पड़ा है तू लड़ेंगे ज़माने से अब साथ हम जैसे बदला है हमने दूध को   वैसे ही बदलेंगे तेरे हालत अब साथ हम चल उठ अब बढ़ आगे बढ़ने को अब खुद से तू लड़               --- Aditya Deb Roy               --- आदित्य देव राय 

Ek Deewan | एक दीवाना

हम आँखों के दीवाने हैं उन आँखों को खोजा करते हैं इस ज़माने के भीड़ में बस यूँ ही खोया करते हैं आज फिर वो दिखी फिर से समा थमा पर न जाने क्या हुआ मुझको  फिर न कुछ कह सका उसको  Youtube link for this nazm- Ek Deewana उसे छुपके देखना अच्छा लगता है देख के मुस्कुराना अच्छा लगता है  उसको मुस्कुराता देख अच्छा लगता है फ़िर भी दिल के जज़्बात कहने में उससे डर लगता है न उसका नाम पता था  न उसके बारे में कुछ पता था  बस दिल में उसका एक एहसास बसा था  ऐसे ही एक साल गुज़र गए  कुछ आदत बिगड़े पर लगभग कुछ सुधर से गए  फिर आख़िर उसका रास्ता रोक ही लिया  दोस्ती की किताब को खोल ही दिया  हर दिन किताब का पन्ना पलटता रहा  धीरे-धीरे दिल की किताब भी खोलता रहा  उसका साथ अब और अच्छा लगने लगा है उसका अब हर पल अपना लगने लगा है  उसकी ख़ुशी अब जीने की वजह बन गयी है  आँखें अब हर पल उससे दिल की बात कह रही है  अब उसके सामने दिल की कताब भी खुल चुकी है  अब वो भी मेरे जज़्बात समझ चुकी है  पर फ़िर भी उससे कहने से डरता हूँ  पर दीवानों की तरह उसपे मरता हूँ  प्यार तो वो भी मुझसे करने लगी है  मेरी तरह वो

कहानी | Khaani

मुहब्बत होने के लिए बस एक पल ही काफ़ी है इज़हार-ए-इश्क़ के लिए एक लम्हा ही काफ़ी है हर सुख दुःख को बाटकर चलना ही जिंदगानी है हर जोड़ी की बुनी हुई यही एक कहानी है मुश्किलें तो हर कहानी में आती है बिना मुश्किलों के कहानी कहाँ बन पति है बहुत कम इन मुश्किलों को पार कर पाते हैं अपनी ज़िन्दगी की आख़री सांस तक साथ निभाते हैं कईयों की कहानी तो बिना हर पल साथ निभाए भी पूरी हो जाती है उनके लिए कुछ पल साथ निभाना ही काफ़ी है कुछ तो ज़िन्दगी साथ निभाकर भी प्यार नहीं कर पाते हैं अपनी कहानी को अधूरा छोड़ जाते हैं साथ निभाने के लिए एक दूसरे को समझना भी ज़रुरी होता है एक दूसरे की खुसी और ग़म को बाटना भी ज़रुरी होता है कईयों की कहानी बिना प्यार के भी पूरी हो जाती है और कईयों के कहानी में प्यार होते हुए भी अधूरी रह जाती  है                           --- Aditya Deb Roy                           --- आदित्य देव राय 

Ehsaas | एहसास

Berang kya hoti hai jindagi es baat ka ehsaas aaj hai hua tere bin saansein ruk si jaati hai es baat ka ehssas aaj hai hua tujh se door to bade chaur me ho gaya tha par door hone ke dard ka ehsaas aaj hai hua tere sath bitaye lamhon ko befijul samajhta tha par un lamhon ke ehemiyat ka ehssas aaj hai hua teri mushkilon ko mazak me liya karta tha par un muskilon ke piche chupa dard ka ehsaas aaj hai hua saayad pyaar to main bhi tujhse karne laga tha par en  ehsaason ko pyaar kehte hain es baat ka ehssas aaj hai hua jab tu kareeb hoti thi to tujhse door bhaga karta tha par tere na hone ke dard ka ehsaas aaj hai hua enhi ehsaason ko pyaar kehte hain es baat ka ehsaas aaj hai hua                                       -------  Aditya Deb Roy

Classmate | क्लासमेट

वो तो बे-इंतिहा   करती थी   मुहब्बत     मैं ही   कमबख़्त   किसी और के   ख़यालों  में खोया रहता था बगल वाली मेज़ से पढाई पूरी कर्ली उसने   और मैं   ख़ामख़ाह   खिड़कियों के बहार   मुहब्बत   खोजा   करता था   सालों बाद फिर कल मिले हम   उसके चेहरे का नूर कुछ बदला हुआ था   दोस्तों ने कहा एक ज़माने में   उसका दिल भी मेरे लिए धड़कता था   जो कभी उसकी आँखों में दिखा करता था   आज मेरी आँखों में उसे दिख रहा था   बगल वाली को छोर   बेवक़ूफ़ों   की तरह मैं किसी और के पीछे पड़ा था   अजनबियों की तरह हम मिले तो जरूर   पर दोनों का दिल बस एक बात केह रहा था   दिल पिघला भी तो आज इस मोड़   जब उसके साथ कोई और खड़ा था                                             ------ Aditya Deb Roy

Follower | फॉलोवर

तेरी मुस्कान की एक झलक ही काफ़ी है, पता चल जाता है की दिलों मे अरमान आज भी बाकि है, खिड़की के पास तेरे गुज़रने का जो कभी इंतजार किया करता था, गलियारों मे तेरे ज़ुल्फ़ों का दीदार किया करता था, आज वही तेरे  इंस्टा और  फेसबुक का फॉलोवर बना बैठे है, बैठे-बैठे बस  डीपी के बदलने का इंतजार किया करता है, बात तो ना तब हुई ना ही आज होती है, कम-से-कम मैसेज का रिप्लाई तो कर दिया कर उँगलियाँ लिखने से पहले रोती है, आइस-ब्रेकर्स के ज़माने मे, हाई, के आगे कहाँ कुछ लिख पाता है, टिंडर ,  हैप्पन ना जाने क्या-क्या नही चलाता है, पर हार कर  फेसबुक की उसी प्रोफाइल पर आके रुक जाता है,  जो पहले खिड़कियों में आजकल फॉलोवर लिस्ट में तेरा इंतजार किया करता है, पहले तेरी झलक का आजकल पगला तेरे डीपी के बदलने का इंतजार किया करता है|                                                            -   Aditya Deb Roy                                                           -  आदित्य देव राय