Apnaoge Mujhe Tum | अपनाओगे मुझे तुम

थक कर काम से जब लौटोगे घर तुम 
अपने हाथों से खाना खिलाओगे मुझे तुम 

छोटी बातों पर भी, गर नाराज़गी हो मेरी 
छोटे बच्चों की तरह मनाओगे मुझे तुम 

मैं रूठूँ तुम मनाना, मैं रोऊँ तुम हँसाना 
बाग के माली की तरह संभालोगे मुझे तुम 

निभाऊंगी साथ मैं भी, लुटाउंगी मुहब्बत 
पर दिल की बात हर रात कहोगे मुझे तुम 

मेरे भूरे बदन के हर उन अनछुए सफों पे 
कुछ लिखने से पहले, हरबार पूछोगे मुझे तुम

जानती हूँ सात फेरों में कुछ वादे मेरे भी होंगे 
पर अपना बनाने से पहले अपनाओगे मुझे तुम 

                              --- आदित्य देव राय
                              --- Aditya Deb roy


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