दिल खोल बैठो शाम है ना हो मुहब्बत आम है दिल हो मुहब्बत में अगर पानी भी लगता जाम है लिखकर मिटाया है बहुत जो लिख सके बे-नाम है दिल में दरारें पड़ चुकी उनमें छुपा एक नाम है आशिक बहुत पीछे मगर सच्चा रहा बे-नाम है दिल खो गया फिर से मिरा उनका मिला हम नाम है --- आदित्य देव राय --- Aditya Deb Roy
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