मुस्कुराना नाम सुनकर याद है दिल मुहब्बत में हुआ बर्बाद है लोग कहते हैं कहा क्यों नइं कभी कह चुके जो वो कहाँ आबाद है उनकी तस्वीरों से अक्सर कहते हम प्यार इक तरफ़ा सही नाबाद है उस गली के मोड़ अब रुकता न पर आज भी उनका गुज़रना याद है जब कभी भी याद तुम आजाती हो फिर ग़ज़ल कहता ये बे-आबाद है नाम शायद याद भी तुमको न हो पर हुआ 'आदित्य' तो बर्बाद है --- आदित्य देव राय --- Aditya Deb Roy
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