दिल खोल बैठो शाम है ना हो मुहब्बत आम है दिल हो मुहब्बत में अगर पानी भी लगता जाम है लिखकर मिटाया है बहुत जो लिख सके बे-नाम है दिल में दरारें पड़ चुकी उनमें छुपा एक नाम है आशिक बहुत पीछे मगर सच्चा रहा बे-नाम है दिल खो गया फिर से मिरा उनका मिला हम नाम है --- आदित्य देव राय --- Aditya Deb Roy
तमन्ना लगाने की उनसे मिरा दिल ख़यालों में भी कह न पाए मिरा दिल जो हिम्मत किया आज कहने को उनसे वो सुन्ना न चाहे जो कहता मिरा दिल पहुँच के मिरा दिल हुआ है जो बाहर तो उनको करीब चाहिए अब मीरा दिल यक़ीनन है दीवानगी अब उन्हें भी किसी और का हो चुका अब मिरा दिल उन्होंने नकारा मुहब्बत थी जिनसे मुहब्बत की उनसे जो चाहते मिरा दिल कहानी शुरू हो गई अब नई है पुरानी सुनाता नही अब मिरा दिल दिया आज आदित्य के दर पे जो दस्तक तो सुनलो कहीं और है अब मिरा दिल --- आदित्य देव राय --- Aditya Deb Roy
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