ख़यालों को कागज़ों पे उतारते रहते हो तुम अक्सर,
ऐसी क्या खता करदी मैंने की मेरी जगह कागज़ों ने ले ली है
- आदित्य देव राय
Love Letter | लव लेटर
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तुम्हें मैसेज आता ढेर, क्या ख़त कोई लता है उसी शिद्द्त से पढ़ती हो या कागज़ याद आता है लिखे को चूमती थी हर, लिखा पढ़ने से पहले तुम इमोजी क्या मुहब्बत में वही एहसास लाता है | --- आदित्य देव राय --- Aditya Deb Roy
मुस्कुराना नाम सुनकर याद है दिल मुहब्बत में हुआ बर्बाद है लोग कहते हैं कहा क्यों नइं कभी कह चुके जो वो कहाँ आबाद है उनकी तस्वीरों से अक्सर कहते हम प्यार इक तरफ़ा सही नाबाद है उस गली के मोड़ अब रुकता न पर आज भी उनका गुज़रना याद है जब कभी भी याद तुम आजाती हो फिर ग़ज़ल कहता ये बे-आबाद है नाम शायद याद भी तुमको न हो पर हुआ 'आदित्य' तो बर्बाद है --- आदित्य देव राय --- Aditya Deb Roy
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